सिंदूरी शाम, महकी हुयी तन्हाई है,
मुद्दतों बाद तेरी यद् चली आई है,
ऐसे में तू आ जाये, दिल को करार आ जाये,
सुरमई रत फिर से जवान हो जाये|
We have detected that you are using extensions to block ads. Please support us by disabling these ads blocker.