अभी होश में आई है ज़च्चा…
प्रसव कक्ष से निकले हुए एक घंटे के बाद होश आया…
बच्चे को जन्म दिए अभी एक घंटे से ज्यादा वक़्त नहीं हुआ…
शरीर में शक्ति नहीं है…
करवट लेना तो दूर की बात, हिलना भी मुश्किल हो रहा है…
बिस्तर पर पड़े पड़े दाहिने हाथ से बगल में टटोला…
हाथ में कुछ नहीं लगा…
बाए हाथ से भी कोशिश किया, फिर भी हाथ में कुछ नहीं लगा…
विचार आया कि कहीं नीचे लुढ़क के गिर तो नहीं गया…?
हिम्मत जुटाते हुए पलंग के नीचे देखा…
नीचे कुछ नहीं था…
मन में घबराहट होने लगी…
थोड़ी और हिम्मत कर के दूर दिख रही नर्स को इशारे से बुलाया…
नर्स ने जच्चा की घबराहट देख कर इनक्यूबेटर रूम से दौड़ कर बच्चा ला कर माँ के हाथ में थमाते हुए कहा.. मैं समझ सकती हूँ बहन, लो जी भर कर देख लो..
जच्चा माथा पीटते हुए बोली... मैं मोबाइल फ़ोन कहाँ हैं पूछ रही थी…
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