तेरी आखों के सागर में, डूब जाने को जी चाहता है.
पी कर तेरे लबों के जाम, बहक जाने को जी चाहता है.
कह दो हवाओं से न बिखेरें इस तरह जुल्फों को गालों पर,
इन में खो जाने को जी चाहता है.
देख कर तेरा संगमरमर सा बदन, फिसल जाने को जी चाहता है.
न लिया करो अंगड़ाई ऐसे, तन से लिपट जाने को जी चाहता है.
तेरी हर अदा क़यामत लगती है हम को,
इसी अदा पे तो मर जाने की जी चाहता है.