हम से बढ़कर जिंदगी को
कौन कर सकता है प्यार
और गर मिटने पे आ जाएँ
तो मिट जाते हैं हम
जाग उठते हैं तो सूली पर भी
नींद आती नहीं
वक़्त पड़ जाये तो
अंगारों पे सो जाते हैं हम
मर के भी इस खाक में हम
दफ़न रह सकते नहीं
लाला – वो – गुल बन के
वीरानों पे छा जाते हैं हम||