जी चाहता है…
तेरी आंखों के सागर में,
डूब जाने को जी चाहता है।
पी कर तेरे लबों के जाम,
बहक जाने को जी चाहता है।
कह दो हवाओं से न बिखेरें,
इस तरह जुल्फों को गालों पर,
इन में खो जाने को जी चाहता है।
देख कर तेरा संगमरमर सा बदन,
फिसल जाने को जी चाहता है।
न लिया करो अंगड़ाई ऐसे,
तन से लिपट जाने को जी चाहता है।
तेरी हर अदा कयामत लगती है हम को,
इसी अदा पे तो मर जाने को जी चाहता है।