चादर बुन ही लिया है,
तो ओढ़ क्यूँ नही लेते
रिश्ते ही तो हैं
जोड़ क्यूँ नही लेते…
बिखर जाऊ तेरी लफ्जो पे ..
या कविता में सवर जाऊ..
कुछ यूं उतरु तुझ में..
तेरी हर बात में नजर आऊ..
दिल से खुशियों की दुरी लगती है
एक मुलाकात अब जरुरी लगती है
अब ये वक़्त कटता नहीं है तुम्हारे बिना
और रात भी अधूरी सी लगती है
हम आप से खफा नही हो सकते,
वादा किया है तो बे वफा हो नही सकते…
आप हमें भले भुलाकर सो जाए,
मगर हम आपको बिना याद किए सो नहीं सकते
चाहत से नहीं तन्हाई से डरते है हम…
प्यार से नहीं आपकी रुसवाई से डरते है…
आप से मिलने की चाहत बहुत है पर…
मिल कर भी आप की जुदाई से डरते है हम !
~ Jyoti