खुशी से नम हो गई आंखें
बुरी करनी को मिला करारा जवाब,
खबर कुछ ऐसी आई आज सुबह
कि शिकारी खुद हो गए शिकार|
उस मनहूस रात के साए में
किया था जहां पाप तुमने,
देखो नियति के भी खेल निराले
उसी जगह देखा तुम्हारा अंत सबने|
लाओ कोई कानून ऐसा
करो कुछ ऐसा उपाय,
रूह कांप जाए उस दरिंदे की
जिसके मन में भी यह ख्याल आए|
कोशिश कर एक ऐसा समाज बनाएं
जिसमें कोई भी बेटी ना घबराए
दुआ है, जब भी सुबह अखबार खोलूं
कभी बलात्कार की खबर न आए
कभी बलात्कार की खबर न आए
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