“Art’s a staple. Like bread or wine or a warm coat in winter. Those who think it is a luxury have only a fragment of a mind. Man’s spirit grows hungry for art in the same way his stomach growls for food.”
‐ Irving Stone
“रोटी या सुरा या लिबास की तरह कला भी मनुष्य की एक बुनियादी ज़रूरत है। उसका पेट जिस तरह से खाना मांगता है, वैसे ही उसकी आत्मा को भी कला की भूख सताती है।”
‐ इरविंग स्टोन